Thursday, September 19, 2013

तुम चली गयी।

कई बार सोचा था, कुछ बार मनाया था। तुम्हारा होने से लोगों को परेशानी ही थी।  कोई न अपने ढंग से रह सकता था, ना कहीं जा सकता था। तुम्हारा चला जाना काफी परेशानियों को ख़त्म कर सकता था।  या यूँ कहें की तुम्हारे नहीं होने से उन सब परेशानियों को ख़त्म करने के लिए कम से कम कुच्छ किया जा सकता था।   

बहुत गुस्सा था तुम्हारे लिए मन में।  तुमने जैसा बर्ताव मेरे करीबों लोगों के साथ किया, अच्छा नहीं लगा।   सोचता था की कैसी हो तुम.… जो इतना कुच्छ कर रहा है तुम्हारे लिए, उसके बारे में भी खराब बोलती हो। इतना गुस्सा था और इतना परेशान था की हमेशा लगता था की तुम्हारे चले जाने से ख़ुशी ही होगी।

पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. बहुत दुःख है…सुबह से हर थोड़े देर पर बस रो ही रहे हैं.…. 

अम्मा, हमको हमेशा से पता था की तुम हमको बहुत प्यार करती हो।  तुम मेरे लिए कभी बुरी नहीं थी।  हमेशा मेरा साथ देती थी, लाड लगाती थी, कहानी सुनाती थी.…. तुमसे बात करके एक भरोसा जगता था।   तुमने बहुत प्यार किया हमको और हम इस वजह से ना कभी तुमको भुला सकते हैं.… और ना कभी अपने आप को माफ़ कर सकते हैं।  

चाहे हमारे बीच कैसी भी बात होती हो, अगली बार जब तुम्हारे कमरे में कदम रखते थे तो तुम्हारी आँखें चमक जाती थी.… तुम उठ कर बैठ जाती थी.… और मुस्कुराती थी। वोह आँखों की चमक, वोह मुस्कुराहट बहुत याद आएगी और बहुत सतायेगी।

अगर तुम्हारी नज़रों से देखें तो हम बहुत बुरे हैं।  जिसको तुमने इतना प्यार किया, उसने आखरी कुछ सालोँ में कम ही बार तुमसे अच्छे से बात किया।  इस बात को अच्छे से समझते थे अम्मा … हमेशा सबसे कहते थे की बड़ा मुश्किल रिश्ता बन गया है हमारा। मेरा एक हिस्सा है जो सिर्फ तुमसे प्यार ही कर सकता है लेकिन दूसरा हिस्सा तुम्हारे दुसरे पहलुओं को भी देखता है. बहुत मुश्किल था अम्मा… कई बार तुमको बताये भी हम इस बारे में।  

बहुत याद आओगी अम्मा। मन में यह हमेशा कचोटेगा की तुम्हारे आखरी वक़्त में एक बार… बस एक बार तुम्हारा हाथ भी नहीं पकड़ पाये ….  

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