Saturday, April 29, 2017

जाने दो

विदा की बेला में,
रुकने की बात करके,
फिर से मुझे जांच रहे हो?
बहुत दिन रहे हम साथ,
अब घर जाने दो!

देखो ये आंखें तुम्हारी,
छलकने को हैं,
मेरी राह में कोहरा छा जाएगा,
मैं तो स्वयं ही अवश, शिथिल हो रहीं हूँ....
फिर से मुझे कातर मत बनाओ,
पोंछ लो अपनी आँखें,
मुझे घर जाने दो!

बहुत कुछ कहना था अभी भी,
तुम्हें भी और मुझे भी,
पर अब सबकुछ यहीं पर खत्म करें,
की शेष रह जाए कुछ हिसाब,
तभी तो, हम फिर मिलेंगे!

प्यार से मिल लो एक बार,
और जाने दो,
बहुत दिन रहे हम साथ,
अब घर जाने दो!

मुझे जाने दो!

              - अम्मा

हां सच है, कहना तो बहुत कुछ था। तुमसे सुनना भी था। मिलेंगे तो ज़रूर हम कहीं। लेकिन वो एक बार प्यार से ना मिलना, एक बार तुम्हारा हाथ ना पकड़ना, एक बार....आखरी बार...तुम्हारा माथा ना चूमना....हमेशा खलेगा। हमेशा रुलाएगा। क्या सही था और क्या गलत, वो दोराहा तो बहुत पीछे छूट गया। अब सिर्फ तुम्हारी बातें, तुम्हारा प्यार याद है।

जब भी मुझे जाना हो, तो तुम आना और मेरी उंगली थाम के ले जाना। बहुत बातें करेंगे।

Friday, April 21, 2017

Off to Singapore....Once again in the big daddy (A380)