Monday, September 19, 2016

जाने से पहले कई सालों में,
एक तरह से तुम थी नहीं,
तो लगता ही नहीं की,
अब तुम हो नहीं,

उन बीते हुए सालों में,
तुम भले साथ थी नहीं,
लेकिन पता था की तुम हो,
तो लगता है की तुम हो, अब भी हो

बहुत कुछ कहा तुमसे और कुछ नहीं कह पाया। कही और अनकही किसी बात का आज मलाल नहीं है। बस आखरी के कुछ दिनों में एक बार हाथ न पकड़ पाने, एक बार 'bye' ना कर पाने का गम हमेशा रहेगा। हमेशा रुलायेगा। लगा नहीं था की तुम चली जाओगी। लगा था की फ़िर मिलेंगे हम। कुछ दिन रही तुम....शायद इंतज़ार किया तुमने। बाकी किसी भी बात का नहीं, क्योंकि हमको पता है की तुम समझी.....लेकिन उस इंतज़ार करवाने के लिए और हाथ ना पकड़ पाने के लिए हम सच में sorry हैं।

कई बार अकेले में तुमको पुकारा है। हो सके तो मिल लेना हमसे। हम तो खोजते हुए आएंगे ही।

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