ज़िन्दगी भर चुप रहे,
और बहुत किया सम्मान,
पर अब सोचा की,
अगर अब भी चुप रहे,
वोह अपने जिन्होनें सारी ज़िन्दगी सहा है,
उनके लिए खड़े भी ना हुए,
तो फिर किस बात के इंसान?
और वो लोग जिन्हें बुरा लग रहा है, पहले अन्दर झाँके. अपनी दुनिया वोह अपने तरीके से चलाना चाहते हैं, तो चलाइए.... किसने रोका है....और किसको परवाह है ?
लेकिन दुसरे भी आपके मुताबिक़ चलें, ऐसा तो नहीं होगा.
दूर बैठ कर भाषण देना बहुत आसान होता है. खुद को कोई दुःख दे तो उससे सारे नाते तोड़ लो और हमको किसी से दुःख मिले तो हम एक शब्द भी ना कहें??!!!
जो सही है वोह तो भाई हम अब कहेंगे. आपके रंग तो हम वैसे भी खूब देख चुके हैं।
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